एक के बाद दूसरा जुड़ता गया
कभी रुका , कभी मुड़ा, कभी आगे चलता गया
हर पड़ाव ना जाने कब शुरू हुआ कब ख़त्म
कभी हंसा के गया तो कभी झोली में भरे ज़ख्म
पर हर एक हंसी के ज़रिये , हर एक आंसू के बदले
कुछ देके गया कुछ सिखाके गया
हर पड़ाव से बहुत से ठोकरें मिलीं ,
पर हर ठोकर ने एक नया नजरिया दिया ,
हर पड़ाव ने गैरों से मिलाया ,
पर हर बार नए दोस्त देके गया ,
हर अलविदा से , बहुत सी यादें मिलीं
हर अंत एक नयी शुरुआत देके गया
हर मोड़ ने अनजान रास्तों से मिलाया
हर रास्ता एक मंजिल देके गया
कितना अच्छा है कि ये कभी रुकते नहीं ,
सांसों से चलते हैं , कभी ठहरते नहीं
एक से दूसरा टूटता है तो और एक जुड़ता भी है ,
एक यादों में गुम होता है तो , एक नया मिलता भी है ,
काश कि खुद को भुला के , मैं भी यूंही चलता रहूँ
एक पड़ाव से निकलूं तो दूसरे की ओट में बढ़ता रहूँ
काश कि ये कदम कभी थकें नहीं
बस यूंही ख्वाइशों से जुड़ता रहूँ , जिन्दगी से मिलता रहूँ