जय हिंद

कुछ ही पलों के लिए सही,
फिर एक नयी सुबह देदे
एक झोंके से ही सही
इस आग को कुछ और हवा देदे

एक इशारे से ही सही
इस सफ़र को एक दिशा देदे
डूबती हुई हिम्मत को
किनारे की एक, झलक देदे

बेबस हुए इरादों को
उम्मीद की एक किरण देदे
दम तोडती सांसों को
जीने की एक वजा देदे

फिर से इस  जंग  को
सच और सादगी की ताकत देदे
जंजीरों को तोड़ने का,
फिर वही एक जूनून देदे

जकडे हुए पंखों को,
फिर एक खुला आसमान देदे
ऐ मालिक मेरे, मेरे देश को फिर वही पहचान देदे