हर मायूस आँखों को
आज थोड़ी सी आशा मिल जाये
थक कर लौटते कदमो को
थोडा ही सही हौंसला मिल जाये
हर एक डूबते सपने को
तिनके का ही सही सहारा मिल जाये
हर अंधेरी रह को
ढलते सूरज का सही, कुछ और उजाला मिल जाये
धूप में चलते हर राही को
थोड़ी ही सही, छाया मिल जाये
लहरों से लड़ती हर कश्ती को
दूर ही सही, किनारा मिल जाये
बरसों से राह तकती आँखों का
मुश्किल से सही, इंतज़ार का पल कट जाये
हर रास्ते के भटके को
थोड़े ही सही, कदमो के कुछ निशां मिल जाये
काश की बढ़ने की चाह में
आज किसी अपने का साथ न छूटे
हाँ थोड़ी नाज़ुक ही सही पर
आज उम्मीद की कोई डोर न टूटे