चलो एक दिया ऐसा भी जलाएं
जिसके तले अँधियारा न हो
एक राह ऐसी भी जगमगायें
जिससे कभी कोई गुज़ारा न हो
एक घर ऐसा भी सजाएं
जिसमे कोई रहेता न हो
एक हाथ ऐसा भी पकडें
जिसको किसी ने थामा न हो
एक दिवाली ऐसी भी मनाये
की, किसी की गली में सन्नाटा न हो
रौशनी में सारा जग डूब जाए
और मन में भी कोई अँधियारा न हो