इरादा

सिमटी  हुई  ज़िन्दगी  को  एक  नया  आयाम  देना  है
पिंजरे  के  पंछी  को  एक  खुला  आसमान  देना  है

टूटे  हुए  हर  सपने  को  उसके  हक़  का  मान  देना  है
आने  वाले  कल  को  एक  सुंदर  आज  देना  है

पक्के  किए  हर  इरादे  को, अब  एक  आकार  देना  है
धुंधली  अनजान  राहों  में  भी  उम्मीद  का  साथ  देना  है

गुज़रते  हुए  साल  को  एक  आखरी  सलाम  देना  है
बढते  हुए  कदमो  को  एक  आखरी  पैगाम  देना  है

थकने-रुकने  का  वक्त  नही  आब  शायद
अब  बोहोत  सी  हसरतों  को  सही  अंजाम  देना  है