एक अरसे से तेरे आने की राह तकी है
एक मुद्द्त से आखरी साँस रोक के रखी है
हर गुजरते चहरे में तुझे ढूँढने की कोशिश की है
हर आहट पे चौकें हैं, तेरे ही कदमो की गुजारिश की है
रुकती धड़कने भी अब तो ज़िद पर अडी हैं
मौत ने जिंदगी पर कुछ ऐसी इनायत की है