मैं सन्नाटे में हूँ
मैं वीराने में हूँ
मैं अकेलेपन में हूँ
मैं तनहाई मैं हूँ
मैं मौत की आहट में हूँ
मैं दुख की परछाई में हूँ
मैं ख्यालों में हूँ
मैं ही आसूँओं में हूँ
मैं हर सच्ची हंसी में हूँ
मैं हर पुकार में हूँ
मैं बहती हवा में हूँ
मैं खुले आंसमां में हूँ
मैं रिश्तों में हूँ
मैं फासलों में हूँ
मैं ही समय के समंदर में हूँ
मैं सपनो में हूँ मैं इरादों में हूँ
मैं हर दिल के किसी एक कोने में हूँ
मुझी से है निकली, मुझी में मिल जाएगी यह दुनिया
मैं ही अँधेरे में हूँ में ही उजाले में हूँ